खबर सक्ती ...
दीपावली से पहले मिली आर्थिक सहायता बनी खुशियों की सौगात, आत्मनिर्भरता की बनी मिसाल ..
महतारी वंदन योजना से गंगाबाई और रजनी के घर जलेंगी खुशियों की दीये ,
हर माह मिलने वाले एक हजार रुपए से गंगाबाई और रजनी ने बढ़ाया मिट्टी के दीयों का व्यवसाय ..

सक्ती, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में संचालित महतारी वंदन योजना प्रदेश की लाखों महिलाओं के जीवन में खुशहाली के रंग भर रही है। दीपावली से पूर्व योजना की 20वीं किश्त जारी होने से प्रदेशभर की महिलाओं के चेहरों पर प्रसन्नता झलक उठी है।
इस योजना के तहत महिलाओं को हर माह 1000 रुपए की आर्थिक सहायता दी जाती है, जिससे वे अपने परिवार की आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ-साथ आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हो रही हैं। योजना का उद्देश्य महिलाओं के आर्थिक स्वावलंबन, उनके स्वास्थ्य एवं पोषण स्तर में सतत सुधार तथा परिवार के निर्णयों में उनकी भूमिका को सशक्त करना है। 21 वर्ष से अधिक आयु की विवाहित, परित्यक्ता एवं विधवा महिलाओं को प्रतिमाह एक हजार रुपए की आर्थिक सहायता सीधे उनके बैंक खातों में दी जा रही है। यह उन जरूरतमंद महिलाओं के लिए मजबूत सहारा बनकर उभरी है, जो आर्थिक कठिनाइयों और पारिवारिक चुनौतियों का सामना कर रही हैं।
श्रीमती गंगाबाई कुम्हार की प्रेरणादायक कहानी –
सक्ती जिले की ग्राम पंचायत टेमर निवासी श्रीमती गंगाबाई कुम्हार की कहानी आज अनेक ग्रामीण महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई है। गंगाबाई बताती हैं कि मेरे पति समारू कुम्हार पिछले 8-10 सालों से मिट्टी के बर्तन बनाने का काम कर रहे हैं। दो साल पहले से मैं भी उनके साथ इस काम में जुड़ गई हूँ। हम दोनों मिलकर सीजन अनुसार दीया, मटका, घड़ा, कलश, सुराही और मिट्टी के बर्तन आदि बनाते हैं। अभी दीपावली के समय में हम एक दिन में लगभग 1000 से 1500 दीये बनाते हैं। ग्राहक खुद भी हमारे घर से दिए और बर्तन खरीदने आते हैं, और हम भी आस-पास के गाँवों में भी जाकर बेचते हैं।

गंगाबाई आगे बताती हैं कि महतारी वंदन योजना से उन्हें हर महीने मिलने वाली 1000 रुपए की सहायता राशि का उपयोग दिया बनाने के लिए मिट्टी, रंग और अन्य कच्चे माल खरीदने में किया। इससे हमारे काम की गति बढ़ी और उत्पादन भी अधिक हुआ। इस बार दशहरा और दीपावली से ठीक पहले राशि मिलने से हम बहुत खुश हुए। त्योहार की तैयारी और घर की जरूरतें दोनों आसानी से पूरी हो रही है।
श्रीमती रजनी कुम्हार की प्रेरणादायक कहानी –


इसी क्रम में सक्ती जिले की ही ग्राम पंचायत टेमर निवासी श्रीमती रजनी कुम्हार भी महतारी वंदन योजना से लाभान्वित होकर अपने परिवार के जीवन में उजाला भर रही हैं। पहले जहां रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था, वहीं अब योजना से मिलने वाली राशि ने उनके जीवन में स्थिरता और आत्मविश्वास का संचार किया है। श्रीमती रजनी ने बताया कि योजना से हर माह मिलने वाले 1000 रुपए से उन्हें न केवल आर्थिक राहत मिली है, बल्कि उन्होंने इस राशि का सदुपयोग घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ-साथ अपने पति पीताम्बर कुम्हार के सहयोग से मिट्टी के दीये, मटके, घड़े, कलश, सुराही और अन्य मिट्टी के उपयोगी बर्तन बनाने के कार्य में किया है। दीपावली के अवसर पर वे प्रतिदिन लगभग 2000 से 2500 दीये तैयार कर रहे हैं, जिससे अच्छी आय प्राप्त होने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि योजना से प्राप्त राशि से कच्चा माल खरीदा, जिससे उनके उत्पादन और बिक्री दोनों में वृद्धि हो रही है।
सशक्तिकरण की दिशा में मजबूत कदम –
आज गंगाबाई और रजनी की मेहनत तथा महतारी वंदन योजना की मदद से उनका छोटा सा व्यवसाय लगातार बढ़ रहा है। वे न केवल अपने परिवार का भरण-पोषण अच्छे से कर पा रहे हैं, बल्कि गाँव की अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बन गई हैं। श्रीमती गंगाबाई कहती हैं कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय जी का मैं धन्यवाद करती हूँ। उन्होंने गरीब और जरूरतमंद महिलाओं के बारे में सोचा, यह हमारे लिए बहुत बड़ी बात है। अब हम महिलाएं भी अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं और घर के कामों में आर्थिक रूप से योगदान दे पा रही हैं। श्रीमती रजनी ने भी मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि महिलाओं के सम्मान, स्वावलंबन और समृद्धि के लिए यह योजना एक सशक्त कदम साबित हो रही है।
आत्मनिर्भरता की मिसाल –
महतारी वंदन योजना ने न केवल श्रीमती गंगाबाई और श्रीमती रजनी जैसी महिलाओं को आर्थिक सहारा प्रदान किया है, बल्कि उन्हें अपने पारंपरिक कौशल को सहेजते हुए आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा भी दी है। महतारी वंदन योजना का असर ग्रामीण क्षेत्रों में साफ देखा जा सकता है। महिलाएं इस योजना से मिलने वाली राशि का उपयोग अपने व्यवसाय, कृषि कार्य, पशुपालन, घरेलू उद्योगों और अन्य कार्यों को सशक्त करने में कर रही हैं। यह योजना सिर्फ आर्थिक सहायता का माध्यम नहीं, बल्कि महिलाओं के स्वाभिमान, आत्मविश्वास और सशक्तिकरण की कहानी है। आज गंगाबाई और रजनी जैसी महिलाएं साबित कर रही हैं कि जब अवसर और समर्थन मिलता है, तो हर महिला अपने जीवन में खुशियों की नई रोशनी जला सकती है, ठीक वैसे ही जैसे उनके हाथों के बनाए दीयों से घर-घर दीपावली जगमगा उठेगी।
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