खबर बिलासपुर
पुष्प की अभिलाषा काव्य का जेल में कैदियों द्वारा सामूहिक पाठ ..

माखनलाल चतुर्वेदी ने वर्ष 1922 में जेल में इसे लिखा था ,
उप मुख्यमंत्री अरूण साव शामिल हुए कविता पाठ समारोह में, कहा – कविता से देश और समाज के लिए काम करने की मिलती है प्रेरणा ..
बिलासपुर, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं सुप्रसिद्ध साहित्यकार स्वर्गीय माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा रचित कालजयी कविता ’पुष्प की अभिलाषा’ का केन्द्रीय जेल बिलासपुर में सामूहिक पठन किया गया। श्री चतुर्वेदी ने बिलासपुर केन्द्रीय जेल में निरूद्ध रहने के दौरान 18 फरवरी 1922 को इस देशभक्ति पूर्ण काव्य की रचना की थी। उप मुख्यमंत्री अरूण साव की मौजूदगी में कैदियों ने इस देशभक्ति पूर्ण कविता का सामूहिक पठन किया। जेल प्रशासन द्वारा एक निजी समाचार पत्र संस्थान के सहयोग से केन्द्रीय जेल में इस प्रेरणामय कविता पाठ समारोह का आयोजन किया गया। विधायक सुशांत शुक्ला, वरिष्ठ साहित्यकार सतीश जायसवाल, संपादक एवं कवि देवेन्द्र कुमार सहित जेल प्रशासन के अधिकारी एवं बड़ी संख्या में कैदी कार्यक्रम में शामिल हुए।


उप मुख्यमंत्री अरूण साव ने समारोह में एक भारतीय आत्मा के नाम से मशहूर साहित्यकार स्वर्गीय माखनलाल चतुर्वेदी के छायाचित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि बिलासपुर के इस ऐतिहासिक जेल में देशभक्त साहित्यकार श्री माखनलाल चतुर्वेदी जी के प्रति श्रद्धा एवं आदरभाव व्यक्त करने के लिए एकत्र हुए हैं। उपमुख्यमंत्री साव ने कहा कि देश के लिए बलिदान का क्या महत्व है, इस कालजयी रचना के जरिए बताया गया है। उन्होंने कहा कि एक फूल की इच्छा है कि वह सम्राट अथवा देवता के सिर पर नहीं बल्कि उस मार्ग में सेनानियों के पैरोंतले कुचला जाना मंजूर करता है कि जिस पथ से होकर सेनानी देश को आजाद करने की लड़ाई में आगे बढ़ें। यह देश के लिए कितना बड़ा त्याग और बलिदान की भावना है।


श्री चतुर्वेदी जी की देश की आजादी की लड़ाई में बड़ी भूमिका थी। देशभक्ति की भावना उनमें कूट-कूट कर भरी थी। उन्होंने 5 जुलाई 1921 से 1 मार्च 1922 तक 7 माह 27 दिन वे इस केन्द्रीय जेल में निरूद्ध रहे। इसी जेल में रहकर उन्होंने 18 फरवरी 2022 को इस कालजयी रचना सेनानियों को सौंपी थी। उन्होंने कहा कि बिलासपुर सहित संपूर्ण छत्तीसगढ़ के लिए यह कविता बड़ी धरोहर है। इससे हम सबको अच्छे काम करने के लिए प्रेरणा मिलेगी। श्री चतुर्वेदी जी प्रकाण्ड विद्वान और देशभक्त थे। एक भारतीय आत्मा की उपाधि से उन्हें जाना जाता था। आजाद होने पर देश का प्रथम साहित्य अकादमी पुरस्कार से उन्हें नवाजा गया। पुष्प की अभिलाषा के शीर्षक से रचित कविता का एक-एक शब्द देशभक्ति पूर्ण भाव से भरा हुआ है। और हम सबको देश और समाज के लिए समर्पण भाव से काम करने के लिए प्रेरित करता रहेगा।

इस अवसर पर दीपक सिंह, मोहित जायसवाल भी उपस्थित थे। आभार प्रदर्शन जेल अधीक्षक खोमेश मंडावी ने किया।
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