खबर सक्ती ...
कर्नाटक परिणाम का छत्तीसगढ़ चुनाव के संदर्भ में त्वरित टिप्पणी ..

छत्तीसगढ़ कांग्रेस के लिए चुनौती तो केंद्रीय नेतृत्व के प्रत्यक्ष दखल की संभावना पर भाजपा का भविष्य- अधिवक्ता चितरंजय पटेल ..
सक्ती, कर्नाटक विधान सभा चुनाव परिणाम महज कांग्रेस की जीत ही नहीं है बल्कि आगामी छत्तीसगढ़ राज्य विधान सभा को लेकर संकेत भी है अर्थात आने वाला समय कांग्रेस के लिए वृहद जवाबदारी वाला वक्त रहेगा क्योंकि कर्नाटक ने एंटी इनकंबेंसी याने सत्ता के खिलाफ जमकर वोट किया है। साफ है छत्तीसगढ़ में ऊपर से भूपेश के अगुवाई में सशक्त दिखने वाली कांग्रेस में संगठन का वजूद बहुत बौना नजर आता है और चुनाव जीतने के लिए सत्ता से ज्यादा, संगठन के कार्यकर्ताओं की कमर तोड़ मेहनत काम आती है और यहां पर संगठन और सत्ता की तकरार जगजाहिर है फिर खेमों में बंटे क्षत्रपों की संख्या कम नहीं है यद्यपि प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी में भी कमोबेश संगठन की स्थिति अच्छी नहीं कही जा सकती है पर यहां भा ज पा में केंद्रीय नेतृत्व ताकतवर है जिसके सामने नजर उठाने की हिम्मत किसी भी प्रादेशिक नेता में नहीं है। फिर कर्नाटक की हार से चित्त भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेताओं के सामने हार के विश्लेषण के साथ आगामी तीन राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में जीत कर सरकार बनाने का दबाव भरपूर होगा। खासकर छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए उन्हें दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ काम करना होगा क्योंकि भूपेश बघेल ही वह मुख्यमंत्री है जिसने देश भर डूबते हुए कांग्रेस की नैया पार कराने छत्तीसगढ़ से तन मन और खासकर धन को दोनों हाथों से लुटाया है अर्थात कांग्रेस पार्टी के अमृत भंडार की नाभी छत्तीसगढ़ ही है। इसलिए यह कहा जा सकता है कि कर्नाटक की जीत कांग्रेस के लिए छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के परिदृश्य में पार्टी के लिए बड़ी चुनौती बनकर आया है तो वहीं भारतीय जनता पार्टी केंद्रीय संगठन, खासकर मोदी और अमित शाह के जोड़ी के प्रत्यक्ष दखल की पूर्ण संभावनाओं के साथ एक अच्छा संदेश हो सकता है ताकि बचे खुचे समय में पार्टी का स्थानीय मुद्दों को लेकर जनता के बीच कसरत चालू हो वरना केंद्रीय नेतृत्व के प्रत्यक्ष दखल के बिना भूपेश का वाक ओवर की मंशा कहीं सच न साबित हो जाय।
अगर हम स्थानीय स्तर पर राजनीति का विश्लेषण करें तो जांजगीर जिले की विभाजन के घोषणा के करीब बीस माह और जिला स्थापना के आठ माह गुजर जाने बाद भी सत्ताधारी कांग्रेस को नवीन जिले सक्ती को अपना अलग अध्यक्ष नहीं मिल पाया और अभी भी जांजगीर जिले के अध्यक्ष ही संगठन के नाम मात्र मुखिया के रूप में दायित्व निभा रहे हैं जो जिले में कांग्रेस सरकार व संगठन के मतभेद को रेखांकित करता है। फिर जिले में तीन विधान सभा में दो पर कांग्रेस और तीसरे पर कांग्रेस के साथ इलू इलू वाले विधायक के कार्यों को देख कर एंटी इनकंबैंसी के आसार तो हैं पर विरोधी भा ज पा के स्थानीय संगठन पर केंद्रीय कोड़े बरसने से ही कुछ हो सकता है जो कर्नाटक चुनाव के बाद शीघ्र कुछ सकारात्मक असर नजर आए। कुल मिलाकर कर्नाटक का परिणाम छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती बनकर आया है तो वहीं भाजपा केंद्रीय नेतृत्व के सार्थक प्रयास से पार्टी के लिए एक अच्छा अवसर साबित हो सकता है…फिलहाल मुख्यमंत्री भूपेश जी उत्साह से लबालब हैं और उनका उत्साह अक्सर कांग्रेस संगठन के लिए सितम कारण रहा है…देखिए आगे आगे होता है क्या?
- खबर सक्ती ...2 years ago
बड़ी खबर: कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी ने किया अनिल चन्द्रा को जिलाबदर ..
- खबर सक्ती ...2 years ago
व्यापारी से 2250000 रूपये की लूट करने वाले 04 आरोपी गिरफ्तार 05 आरोपी फरार ..
- ख़बर रायपुर1 year ago
एनसीपी के प्रमुख पूर्व मंत्री नोबेल वर्मा कल 23 अक्टूबर को विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मौजूदगी में कांग्रेस में होंगे शामिल ..
- खबर जगदलपुर ..2 years ago
स्कूल शिक्षा विभाग में 3266 से अधिक रिक्त प्राचार्य पद पर पदोन्नति की माँग को लेकर “छत्तीसगढ़ राज्य प्राचार्य पदोन्नति संघर्ष मोर्चा” के द्वारा जगदलपुर में बस्तर संभागीय बैठक सफलतापूर्वक संपन्न हुई ..
- खबर सक्ती ...2 years ago
सक्ती जिले के डभरा सीएचसी में उपलब्ध हुई दो विशेषज्ञ चिकित्सको की सेवा ..
- खबर सक्ती ...2 years ago
ज्ञानकुंज पब्लिक हायर सेकेंडरी स्कूल सकरेली (बा) में रंगोली, राखी मेकिंग एवं मेहंदी प्रतियोगिता का आयोजन संपन्न ..
- खबर सक्ती ...2 years ago
गुलमोहर के फूलों की दीवानगी ऐसी कि आजादी के अमृतोत्सव पर लगाए “75 गुलमोहर पौधे …
- Uncategorized2 years ago
प्रदेश में पटवारियों की हड़ताल समाप्त ..
You must be logged in to post a comment Login