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सक्ती जेल में मनमानी और भ्रष्टाचार का बोलबाला, जेलर सतीश चंद्र भार्गव पर गंभीर आरोप ..

सक्ती, जिले की उपजेल में बीते पांच वर्षों से पदस्थ जेलर सतीश चंद्र भार्गव पर गंभीर आरोप लग रहे हैं। विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जेल परिसर में भ्रष्टाचार, पक्षपात और मनमानी की पराकाष्ठा देखने को मिल रही है। बताया जा रहा है कि जेलर भार्गव के संरक्षण में जेल के अंदर अवैध गतिविधियों का संचालन हो रहा है और कैदियों के परिजनों से मिलने के नाम पर भारी-भरकम रकम वसूली की जाती है।
सूत्रों के अनुसार, जेल में जुआ, सट्टा और अवैध कारोबार से जुड़े लोगों से “सुविधा शुल्क” लेकर उन्हें विशेष सुविधाएं दी जाती हैं। यहां तक कि मुलाकातियों से मिलने के लिए भी जेलर की सहमति के बिना किसी को प्रवेश नहीं मिलता। जो परिजन नजराना नहीं देते, उन्हें कभी आधार कार्ड या समय की आड़ में लौटा दिया जाता है। वहीं जो लोग रकम चुकाते हैं, उन्हें जेल परिसर के अंदर बैठाकर आराम से मुलाकात कराई जाती है।
जेल के अंदर बने हनुमान मंदिर को लेकर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं। बताया गया है कि मंदिर निर्माण के लिए उच्च अधिकारियों से अनुमति नहीं ली गई थी, लेकिन “मंदिर निर्माण” के नाम पर स्थानीय लोगों से मोटी रकम वसूली गई। कई लोगों का कहना है कि जेलर भार्गव शहर के कुछ प्रभावशाली और कारोबारी वर्ग के लोगों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए हुए हैं। वह अक्सर उनके विवाह, जन्मदिन और निजी समारोहों में भी शामिल होते हैं, जिससे उनके संबंधों की गहराई स्पष्ट होती है।


सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि हाल ही में एक युवक, जो अपने परिजन से मिलने जेल आया था, उसे जेल परिसर के बाहर से पकड़कर बेरहमी से पीटा गया। आरोप है कि युवक ने प्रहरी से कहा था कि उसे मिलने नहीं दिया जा रहा जबकि अन्य लोगों को पैसे देकर अंदर भेजा जा रहा है। इस बात से नाराज जेल कर्मियों ने जेलर को सूचना दी और फिर उसे अंदर ले जाकर मारपीट की गई (जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है)। बाद में उस पर गंभीर आरोप लगाकर थाने में अपराध दर्ज कर दिया गया और जेल में डाल दिया गया।
मुलाकात के लिए आने वाले एक व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि “जब तक पैसा नहीं देते, हमें कैदियों से नहीं मिलने दिया जाता। हर बार कोई न कोई बहाना बना दिया जाता है।” लोगों का कहना है कि अगर जेल के सीसीटीवी फुटेज की जांच कराई जाए तो जेलर की मनमानी और अमानवीय व्यवहार के कई प्रमाण उजागर हो सकते हैं।
स्थानीय नागरिकों ने मांग की है कि जेल प्रशासन की निष्पक्ष जांच कराई जाए और सतीश चंद्र भार्गव सहित संबंधित कर्मचारियों के कार्यकाल और व्यवहार की गहन जांच हो। यह मामला अब प्रशासनिक ईमानदारी और मानवाधिकारों की गंभीर परीक्षा बन गया है।
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