खबर सारंगढ़-बिलाईगढ़ ..
स्कूली बच्चों को बीमारी और उनके रोकथाम की जानकारी दी गई ..

सीएमएचओ सहित स्वास्थ्य विभाग की पूरी टीम ने स्कूल में किया स्वास्थ्य जांच ..
सारंगढ़-बिलाईगढ़, कलेक्टर डॉ संजय कन्नौजे के निर्देशानुसार मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एफ आर निराला के द्वारा बिलाईगढ़ ब्लॉक के हायर सेकेंडरी स्कूल रायकोना के बच्चों को स्वास्थ्य परीक्षण के साथ स्वास्थ्य की जानकारी दी गई। विद्यालय में 3 बच्चों की आयुष्मान कार्ड नहीं बनने की जानकारी मिली। 7 बच्चों में सिकलसेल पॉजिटिव पाए गए। यदि खून की कमी के बचाव को देखे तो अच्छे संतुलित आहार के साथ आयरन गोली की पूरक आहार लेने से ठीक किया जा सकता है। आयरन की गोली 10 वर्ष से 19 वर्ष के बीच जो नीले रंग की होती है। प्रति मंगलवार को प्रार्थना के बाद खिलाई जाती है। गोली नोडल टीचर्स या कक्षा शिक्षक की उपस्थिति में खिलाई जाती है। ऐसे वर्ष में 52 गोली खानी होती है। इस गोली को खाने समय दूध या दूध का बना हुआ सामान 2 घंटे पहले या बाद में न ले या फिर कैल्शियम की गोली साथ में नहीं खानी चाहिए। इससे आयरन की अवशोषण सही नहीं होती। घर में मिलने वाले भोजन को भी संतुलित आहार जिसमें सभी अवयव प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेड, वसा, विटामिन, खनिज लवण तथा पर्याप्त पानी की मात्रा को नियमित ग्रहण करने से रक्त अल्पता या अन्य बीमारियां कम ही होगी।
कृमि रोग –
यदि खून की कमी के कारण को जांच की जाती है तो पहला कारण होता है कृमि रोग। छोटे बच्चों के नंगेपैर चलने खेलने के कारण पैर से कृमि शरीर में प्रवेश करता है, जबकि बड़े छोटे सब उम्र के व्यक्तियों में कुछ कृमि खाद्य पदार्थ, विशेष कर सब्जी सलाद के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता तथा एक कृमि, फीताकृमि इसकी पैरासाइट कुछ समय मनुष्य में एवं कुछ समय सुअर के शरीर में रहता है। इसलिए मांसाहारी को, सुअर के मांस को पर्याप्त मात्रा में पका कर खाना चाहिए।
अधपका मांस से इंसान के शरीर में प्रवेश करता है कृमि –
सुअर के अधपका मांस खाने से कृमि रोग होता है क्योंकि सुअर मनुष्य के मल, जिसमें फीताकृमि के पैरासाइट रहता है। सुअर ग्रहण करता है और पैरासाइट सुअर के शरीर में पहुंच जाता है। इस तरह से इनका जीवन चक्र (साइक्लिंग) चलते रहता है। हर स्थिति में कृमि मनुष्य के शरीर के अंतड़ी में पहुंचता है। बड़ा होता है, अपनी संख्या बढ़ाता है।
शरीर में कृमि होने से नुकसान –
जिंदा रहने के लिए कृमि मनुष्य के द्वारा ग्रहण किए पोषक तत्वों को ग्रहण करता है तथा मनुष्य का खून पीता है। इस कारण बच्चे या कोई भी उम्र के व्यक्ति के शरीर में खून की कमी होती है। दूसरा, लड़कियों में माहवारी के कारण खून की कमी होती है। तीसरा, सिकलसेल होने के कारण भी खून की कमी होती है। चौथा, किसी भी प्रकार के लंबे समय तक बीमारी होने पर भी खून की कमी होती है। इन सभी स्थितियों में खून की कमी को पूरा करना हो तो हमें हर हाल में शरीर में आयरन तत्व की कमी को पूरा (सप्लीमेंट) करना होगा। जैसे 6 माह से 5 वर्ष के बीच के बच्चों को आयरन की सिरप देना होता है जिसे 1-1 एमएल सप्ताह में दो बार देना होता है। दूसरी कैटिगरी में प्राइमरी स्कूल के बच्चों को जूनियर आयरन गोली (डब्ल्यूआईएफएस) जो पिंक कलर की होती है। इसे प्रति मंगलवार को नोडल शिक्षक के द्वारा मध्यान्ह भोजन के बाद खिलाया जाता है। आयरन गोली खिलाने के पानी अवश्य पीनी चाहिए।
सिकलसेल, टीबी, कुष्ठ रोग की जानकारी –
खून की कमी, सिकलसेल के कारण होती है। यह एक आनुवंशिक बीमारी है। आनुवंशिक बीमारी माता और पिता के डीएनए और आरएनए से संतान में होता है। इसके बारे में सीएमएचओ डॉ निराला ने स ब्लॉक बोर्ड में चित्र बनाकर बताया और समझाया गया। स्कूल के बच्चे इसे देख और सुनकर अत्यधित प्रसन्नचित हुए।

सीएमएचओ के द्वारा माहवारी के समय बरते जाने वाले सावधानियों के बारे लड़कियों को अलग से कक्षा में समझाया गया। स्वास्थ्य की चर्चा में एनीमिया, रक्त अल्पता, खून की कमी के कारण, उसकी पहचान, लक्षण, शरीर पर खून की कमी के कारण पड़ने वाले प्रभाव जैसे खून की कमी होने पर आई क्यू कम से कम 10% की कमी हो जाना, बच्चों की शारीरिक एवं मानसिक विकास में कमी होना, बच्चों में सीखने, समझने की क्षमता में कमी का होना तथा बच्चों में एकाग्रता की कमी होना प्रमुख फैक्टर है। इसके कारण बच्चे बीमार रहते हैं। स्कूल में उपस्थिति कम होने से बच्चे का रिजल्ट प्रभावित होता है और अंत में जवाब प्राचार्य को देना होता है। इस अवसर पर टीबी, कुष्ठ जांच खोज अभियान के अंतर्गत टीबी और कुष्ठ के लक्षण को बताया गया। सभी बच्चों का परीक्षण किया गया। ऐसे किसी लक्षण का पता लगाने पर अपने मोहल्ला के मितानिन को अवगत करावे। वे जांच कराएंगे।
तंबाकू उत्पाद का आदत छोड़ना आवश्यक –
विद्यालय में उपस्थित सभी बच्चों ने प्रश्न के उत्तर में डॉक्टरों ने बताया कि, उनके घर परिवार में कोई न कोई सदस्य है जो तंबाखू का प्रयोग का प्रयोगधुआं सहित बीड़ी सिगरेट या धुआं रहित गुड़ाखू के रूप में लिया जा रहा है जो एक चिंताजनक स्थिति है। काउंसलिंग करके तंबाखू , बीड़ी सिगरेट, गुटखा छुड़ाने के लिए आवश्यक पहल जरूरी है।
इस दौरान प्राचार्य ने कहा कि ऐसी जानकारी इस विद्यालय में किसी अधिकारी के द्वारा पहली बार दी गई है। जानकारी काफी शिक्षाप्रद है और सभी लोगों स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहेंगे। शिक्षक के साथ सभी विद्यार्थियों ने अच्छा अनुभव बताएं। इस अवसर पर लगभग 190 विद्यार्थी की उपस्थिति में सीएचओ डाली साहू, आरएचओ महिला अंजू लहरे, प्रभारी प्राचार्य एल पी साहू, नागेश कोशले, मंजू लता वर्मा, प्रमिला खटकर आदि शिक्षक उपस्थित थे।
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